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रविवार, जनवरी 15, 2012

कविता एक सुरीली : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत


सभी नन्हे साथियों को ढेर-सारा प्यार!

नए साल में मैं अभी तक
सरस पायस पर कोई रचना नहीं सजा पाया था!
आज अंतरजाल पर विचरण करते समय
मेरी मुलाकात अनुष्का से हो गई!
मुझे लगा कि वह मुझसे एक गीत सुनना चाह रही है!
अचानक मेरी आत्मा
उसके साथ बैठे साथी के मन में समा गई!
अनुष्का की मधुर मुस्कान ने
नए साल की शुरूआत इस नए गीत से करवा दी!
अनुष्का के साथ-साथ
सभी नन्हे साथियों को ढेर-सारा प्यार!
रावेंद्रकुमार रवि

कविता एक सुरीली

आओ, तुम्हें सुनाऊँ गाकर,
कविता एक सुरीली!


कविता के जादू से जो तुम,
चाहोगी बन जाओगी!
वही सामने पाओगी तुम,
जो भी पाना चाहोगी!
चाहे फिर वो चंदा हो या,
मछली रंग-रँगीली!


कविता सुनकर गाल तुम्हारे,
ख़ुशियों से सज जाएँगे!
अच्छी-सी मुस्कान खिलाकर,
ओंठ तुम्हारे गाएँगे!
बालों पर आकर बैठेगी,
तितली छैल-छबीली!


रावेंद्रकुमार रवि
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