"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

शुक्रवार, मार्च 18, 2011

प्रेम-रंग ऐसे बरसाना : होली पर अरविंद-रवि की साझा कविता

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प्रेम-रंग ऐसे बरसाना
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होली का संदेश मधुर है,
रवि -- "सदा प्यार से तुम मिलना!" -- रवि
काँटों-जैसे कभी न बनना,
अरविंद -- सदा फूल से तुम खिलना! -- अरविंद


कालिख नहीं पोतना मुँह पर,
रवि -- बस गुलाल ही तुम मलना! -- रवि
भूल-भालकर बैर पुराने,
अरविंद -- गले सभी से तुम मिलना! -- अरविंद


होली में सारी बुराइयाँ,
रवि -- फूँक जलाकर तुम देना! -- रवि
"सदा करेंगे काम भले हम",
अरविंद -- आज यही प्रण तुम लेना! -- अरविंद


बचे न कोई संगी-साथी,
रवि -- तन-मन से सबको रँगना! -- रवि
प्रेम-रंग ऐसे बरसाना,
अरविंद -- भीग जाय हर घर-अँगना! -- अरविंद

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रावेंद्रकुमार रवि और अरविंद राज 
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सोमवार, मार्च 14, 2011

शुक्रवार, मार्च 11, 2011

उड़ने को तैयार पतंग : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत

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उड़ने को तैयार पतंग 
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Laviza
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गुब्बारों में बँधी पतंग!
उड़ने को तैयार पतंग!

आसमान में ठुमकेगी,
इधर-उधर जा चमकेगी!
चिड़िया को भी अचरज होगा, 
जब देखेगी इसके रंग! 

फर-फर करती जाएगी, 
सर-सर करती आएगी!
इसका फ़ोटो खींचूँगी मैं, 
जब गाएगी मेरे संग! 
---------------------------------------------------------------------------------------------------------Laviza
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रावेंद्रकुमार रवि 
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(चित्रों में है : लविज़ा)
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बुधवार, मार्च 09, 2011

अँखियों में बस जाते हैं : सरस चर्चा (३१)

इस बार महाशिवरात्रि (२ मार्च) पर चैतन्य ने 
भगवान शंकर की उपासना ॐ नमः शिवाय में रंग भरकर की! 


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (८ मार्च) को चिन्मयी ने 
एक सुंदर-सा कार्ड देकर अपनी मम्मा को गुलाब-जैसी ख़ुशी दी!


पाखी ने भी इस कलाकारी से 
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर शुभकामनाएँ दीं!


"मन का आँगन है महका" 
इस गीत के माध्यम से डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक ने 
अपने पौत्र प्रांजल को उसके जन्म-दिवस पर बधाई दी!


डॉ. नागेश पांडेय संजय के शिशुगीत "ब्रेकफास्ट" को 
नन्ही परी इशिता ने अपने मोहक अंदाज़ में प्रस्तुत किया है! 


अनुष्का ने भरतनाट्यम् नृत्य सीखना शुरू कर दिया है!


अब "बच्चों का कोना" पर लगी यह कविता पढ़कर देखते हैं!

बस्ता वैसे तो भारी है, 
पर कंधे भी मज़बूत हमारे! 
करें इरादा गर पक्का हम, 
सपने पूरे कर सकते सारे!



रिमझिम द्वारा मज़े-मज़े में बनाया गया 
भारतीय दूल्हा-दुल्हन का यह चित्र कितना सुंदर है!



नन्हे-मुन्ने पर डॉ. मोनिका शर्मा के 
शरारती बंदर की उछल-कूद भी देख लीजिए!



अंत में "सरस पायस" पर पढ़िए मेरा यह गीत! 
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मन-मंदिर में रहते हैं वे 
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भोले बाबा ने भोली-सी 
बात कही है कानों में! 
वे बसते हैं नन्हे-मुन्ने 
बच्चों की मुस्कानों में! 


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रावेंद्रकुमार रवि 
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रविवार, मार्च 06, 2011

फूट पड़ी चेहरों पर लाली : डॉ. मोहम्मद अरशद ख़ान का गीत

फूट पड़ी चेहरों पर लाली 

बैठ पालकी मेरी गुड़िया,
आज चली ससुराल।


छम-छम करती काढ़े घूँघट,
गहनों से कर ख़ूब सजावट,
चोटी में मोती से सजकर,
गुँथे हुए हैं बाल।

सुंदर है माथे का टीका,
नथ के आगे चंदा फीका,
चमके चम-चम चुनरी प्यारी,
और गरारा लाल। 


गुड्डा आया चढ़कर घोड़ा,
शरमाकर उसने मुख मोड़ा,
मन ही मन में हँसता-गाता,
फुला-फुलाकर गाल।

बजती है धुन बहुत निराली,
फूट पड़ी चेहरों पर लाली,
ठुमक-ठुमककर नाच दिखाते,
दे-देकर सब ताल। 


डॉ. मोहम्मद अरशद ख़ान

शुक्रवार, मार्च 04, 2011

प्यारी-सी पगडंडी : डॉ. मोहम्मद साजिद ख़ान की बालकविता

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प्यारी-सी पगडंडी 
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बलखाती-इठलाती, देखो,
प्यारी-सी पगडंडी।
जोड़ रही है गाँव-गाँव से,
खेत-बगीचा-मंडी।।

चलकर इस पर गुरुजन आते,
प्रतिदिन हमें पढ़ाने।
और रोज़ दादाजी जाते,
मंदिर फूल चढ़ाने।।

चलकर इस पर मस्जिद जाते,
अपने मुल्ला-काज़ी।
और इसी से जाकर दुनिया,
घूमे हैं मामाजी।।

हर पल है हौसला बढ़ाती,
करती सदा भलाई।
गर्मी-सर्दी-वर्षा में भी
मिटने कभी न पाई।। 
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डॉ. मोहम्मद साजिद ख़ान 
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बुधवार, मार्च 02, 2011

मन-मंदिर में रहते हैं वे : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत

मन-मंदिर में रहते हैं वे 


भोले बाबा ने भोली-सी 
बात कही है कानों में! 
वे बसते हैं नन्हे-मुन्ने 
बच्चों की मुस्कानों में! 


अँखियाँ बंद करें हम तो, वे 
अँखियों में बस जाते हैं! 
डमरू बजा-बजाकर हमको
बढ़िया नाच दिखाते हैं! 
इसीलिए अच्छे लगते हैं 
हमको वे भगवानों में! 


गन्ने की मीठी पोई का 
रस वे हमें चखाते हैं! 
झरबेरी के बेर खिलाकर 
मीठा गीत सुनाते हैं! 
मन-मंदिर में रहते हैं वे 
रहते नहीं मकानों में! 

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रावेंद्रकुमार रवि 
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♥♥ क्रम से चित्रों में हैं ♥♥
नयना, तन्वी, पाखी, 
जायन्हा (अंतरा), सरस पायस, लविज़ा, 
प्रियांशु, आन्या, डुगडुग, 
आदित्य, सोनमन, माधव!
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